महिलाएं ही नहीं, अब पुरुष भी खा सकते हैं गर्भनिरोधक गोली
आममौर पर अनचाहे गर्भ से बचने के लिए महिलाएं ही गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं. लेकिन अब ये गर्भनिरोधक पुरुषों के लिए भी मौजूद होगी. ये हम नहीं कह रहे बल्कि एक रिसर्च में ऐसी खोज की गई है. जानिए, क्या कहती है रिसर्च.
नई दिल्लीः आममौर पर अनचाहे गर्भ से बचने के लिए महिलाएं ही गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं. लेकिन अब ये गर्भनिरोधक पुरुषों के लिए भी मौजूद होगी. ये हम नहीं कह रहे बल्कि एक रिसर्च में ऐसी खोज की गई है. जानिए, क्या कहती है रिसर्च.
क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, बाजार में महिलाओं के लिए मौजूद गर्भनिरोधक गोली अब पुरुषों के लिए भी गोली जल्द उपलब्ध होगी. शोधकर्ताओं ने ऐसे यौगिक की खोज की है जो शुक्राणु की गतिशीलता पर नियंत्रण रख सकता है.
रिसर्च के मुताबिक, बाजार में महिलाओं के लिए मौजूद गर्भनिरोधक गोली अब पुरुषों के लिए भी गोली जल्द उपलब्ध होगी. शोधकर्ताओं ने ऐसे यौगिक की खोज की है जो शुक्राणु की गतिशीलता पर नियंत्रण रख सकता है.
क्या है ये यौगिक -
ये ईपी055 नामक यौगिक है जो शुक्राणु की गतिशीलता को शिथिल कर देता है और इससे हार्मोन पर भी कोई असर नहीं होता है. यह यौगिक निषेचन की क्षमता को कम कर सकता है. इस यौगिक का इस्तेमाल करके पुरुषों के लिए भी अब निरोध की गोली बनाई जा सकती है जो आबादी नियंत्रण के लिए कारगर उपाय साबित हो सकती है.
ये ईपी055 नामक यौगिक है जो शुक्राणु की गतिशीलता को शिथिल कर देता है और इससे हार्मोन पर भी कोई असर नहीं होता है. यह यौगिक निषेचन की क्षमता को कम कर सकता है. इस यौगिक का इस्तेमाल करके पुरुषों के लिए भी अब निरोध की गोली बनाई जा सकती है जो आबादी नियंत्रण के लिए कारगर उपाय साबित हो सकती है.
पुरुषों के लिए हैं ये कंट्रासेप्शन-
वर्तमान में पुरुषों के लिए कंडोम और नसबंदी के उपाय उपलब्ध हैं. जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित इस शोध में दावा किया गया है कि इस यौगिक से 'पुरुष-गोली' बनाई जा सकती है जो जन्म दर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होगी और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होगा.
वर्तमान में पुरुषों के लिए कंडोम और नसबंदी के उपाय उपलब्ध हैं. जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित इस शोध में दावा किया गया है कि इस यौगिक से 'पुरुष-गोली' बनाई जा सकती है जो जन्म दर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होगी और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होगा.
किस पर की गई रिसर्च-
फिलहाल परीक्षण के तौर पर इसका उपयोग नर बंदरों पर किया गया, जिसमें कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया.
फिलहाल परीक्षण के तौर पर इसका उपयोग नर बंदरों पर किया गया, जिसमें कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
अमेरिका के ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी स्थित ओरेगन नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर की मेरी जेलिंस्की का कहना है कि उपयोग के 18 दिन बाद सभी लंगूरों में पूरी तरह से सुधार के लक्षण पाए गए.
अमेरिका के ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी स्थित ओरेगन नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर की मेरी जेलिंस्की का कहना है कि उपयोग के 18 दिन बाद सभी लंगूरों में पूरी तरह से सुधार के लक्षण पाए गए.
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